सहीं ला सहीं सहिंराना,
गलत ला गलत गरियाना।
कवि करम कविता के धरम,
दूध-पानी ला फरियाना।।
कखरो हाँ में हाँ मिला के,
कलेचुप मुड़ी ला हला के।
चारन बूता खुसामदखोरी,
अमली ला आमा बता के।।
कलमकार बर कलंक आय,
सुख-सुभीता म बिक जाना
कवि करम कविता के धरम,
दूध-पानी ला फरियाना।।
कलम हा तो तलवार होथे,
सत के सिरतों अधार होथे।
टूट जथे फेर कभू झुके नहीं,
लोकतंत्र के पहरादार होथे।।
बुता आवय कलमकार के-
अनीत मा आगी लगाना।।
कवि करम कविता के धरम,
दूध-पानी ला फरियाना।।
अंधियारी मेट के अंजोर करे,
गरीब-गुरबा ला सजोर करे।
गिरे-परे अपटे मनखे मन के,
बल-बांहा म जेन जोर भरे।।
मया-पिरीत मनखेपन अउ,
समता के हे जोत जलाना।।
कवि करम कविता के धरम,
दूध-पानी ला फरियाना।।
डॉ. पीसी लाल यादव