अशोक पटेल "आशु", तुस्मा, शिवरीनारायण(छ ग)
डोंगरी पहाड़ जाबो
Ashok Patel “Aashu”
महुआ बीने ल जाबो।
तेंदू अउ चार खाबो
कर्मा-ददरिया गाबो।।
मोर मोहनी रे, मोर सोहनी रे
आबे किंजरे के आबे रे
डोंगरी पहाड़ जाबो…
सुन-सुन कोयली के बोली
मोला तोर सुरता आ जाथे।
मैना पपीहा के गुरतुर बोली
जीवरा ल कइसे बान मारे।।
पिरित के घर बनाबो
सुख म जिनगी बिताबो।
बंधना म सँग बन्धाबो
मया के गीत ल गाबो।।
डोंगरी पहाड़ जाबो…
झूल-झूल के तोरे रेंगना
फुलवा कस डारी लागे।
पपीहा के हाँसी-ठिठोली
जीवरा ल मूरछा मारे।।
आजा न ददरिया ल गाबो
कर्मा ल झूल-झूल नाचबो।
मन म मंगन हो जाबो
तन मन म एक हो जाबो।।
डोंगरी पहाड़ जाबो…
साजा-सराई के छईहाँ
मोला तोर अँचरा लागे।
महुआ के महकी मोला
रग-रग म निसा ह छागे।।
पिरित के बरसा करबो
मन के पियास बुझाबो।
तन मन ल आ रँगाबो
मया डोरी म बन्धाबो।।
डोंगरी पहाड़ जाबो..