सुशील भोले, संजय नगर, रायपुर
वइसे तो मैं सन् 1983 ले रायपुर के साहित्यिक गतिविधि मन म संघरे बर धर लिए रेहेंव, फेर केयूर भूषण जी ल साहित्यकार के रूप म तब जानेंव, जब मासिक पत्रिका ‘मयारु माटी’ निकाले के उदिम करेंव. एकर पहिली मैं केयूर भूषण जी ल सिरिफ राजनीतिक मनखे होही समझत रेहेंव, काबर ते तब उन सन् 1980 ले लगातार दू बेर रायपुर लोकसभा के निर्वाचित सदस्य रिहिन. फेर जब मयारु माटी के प्रकाशन के संग चारों मुड़ा के लेखक मन संग मेल-भेंट अउ उठई-बइठई होए लागिस, तब केयूर जी संग घलो उठना-बइठना होए लागिस. उही बखत गम पायेंव, के एमन तो राजनीतिक ले जादा साहित्यिक अउ सांस्कृतिक मनखे आयॅं. तब केयूर भूषण जी मोला अपन छत्तीसगढ़ी उपन्यास ‘कुल के मरजाद’ के पांडुलिपि ल छापे खातिर दिए रिहिन हें, जेला ‘मयारु माटी’ म सरलग छापत रेहेन.
बेमेतरा जिला के गाँव जांता म महतारी रोहनी देवी अउ सियान मथुरा प्रसाद मिश्रा जी के घर 1 मार्च 1928 के जनमे केयूर भूषण जी लइकई अवस्था ले ही आजादी के आन्दोलन म संघरगे रिहिन. सन् 1942 के महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन म उन भाग लिए रिहिन अउ गिरफ्तार घलो होए रिहिन. तब उन रायपुर के केन्द्रीय जेल म बंद रहे जम्मो राजनीतिक बंदी मन म सबले कम उमर के बंदी रिहिन. उन अइसन दू-तीन बेर जेल यात्रा करिन. फेर आजादी के आन्दोलन म भीड़ेच रिहिन.
देश ल आजादी मिले के बाद उन कम्युनिस्ट पार्टी म शामिल होके किसान, मजदूर अउ विद्यार्थी मनके आन्दोलन म सक्रिय रिहिन. संत विनोबा भावे जी के भूदान आन्दोलन म घलो शामिल रिहिन. महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ म जिला ले लेके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक के जिम्मेदारी ल उन निभाइन.
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केयूर भूषण जी हरिजन उत्थान के बुता म न सिरिफ शारीरिक रूप ले भलुक मानसिक रूप ले घलो समर्पित रहिन. मोला सुरता हे, उन जब कभू मोला चिट्ठी-पाती लिखंय, त चिट्ठी के सबले ऊपर म ‘जय सतनाम’ जरूर लिखंय. उन काहंय घलो- छत्तीसगढ़ के संत पुरुष मन म मैं गुरु बाबा घासीदास जी ल जतका मानथौं वतका अउ कोनो ल नइ मानौं. आज इहाँ के ए बहुसंख्यक शोषित समाज ह विदेशी धरम के जाल म नइ झपा पाइस, त एहा सिरिफ घासीदास जी के पुण्य कारज के ही सेती आय. हमला उंकर हमेशा ऋणी रहे ल परही. अस्पृश्यता निवारण खातिर वोमन पंजाब म आतंकवाद के बेरा राजिम ले भोपाल तक जबर पदयात्रा घलो करे रिहिन हें. इहाँ मुंगेली क्षेत्र के पांडातराई म दलित मनके मंदिर प्रवेश खातिर घलो बड़का आन्दोलन करे रिहिन हें.
मोला सुरता हे, गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के जम्मो कार्यक्रम म हमन जरूर संघरत रेहेन. डॉ. खूबचंद बघेल जी के जयंती के बेरा म आयोजित होवइया साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम म जेकर संयोजक मैं खुद राहत रेहेंव, केयूर भूषण जी वोमा जरूर आवयं. अउ इहाँ के शोषित समाज के संगे-संग जम्मो छत्तीसगढ़ी अस्मिता ऊपर उंकर वक्तव्य होवय.
केयूर भूषण जी एक बड़का राजनीतिक मनखे होए के बावजूद निच्चट सरल अउ सादगी पसंद मनखे रिहिन. उन शहर भीतर जब कहूँ दिखतीन त सइकिल के सवारी करत ही दिखतीन. अपन जिनगी के संझौती बेरा तक उनला हम सइकिल म किंजरत देखेन. उन काहय घलो- मोर शरीर आज 80-85 बछर के उमर घलो एकदम फीट अउ स्वस्थ दिखथे तेकर राज इही सइकिल चलई ह आय. उंकरेच कहे म महूं सइकिल ल अपन सफर के संगवारी बनाए रेहेंव.
केयूर भूषण जी के लेखनी सरलग चलत रहिस. वोमन कविता, कहानी, निबंध, व्यंग्य, उपन्यास जइसन सबोच विधा म लिखिन. मैं मयारु माटी के संगे-संग अउ कतकों पत्र-पत्रिका मन म उंकर रचना मनला छापत रेहेंव. उंकर व्यंग्य संग्रह ‘देवता मन के भुतहा चाल’ के तो प्रूफ आदि के बुता ल घलो करे रेहेंव.
केयूर भूषण जी के प्रकाशित कृति मन म लहर (कविता संग्रह), कुल के मरजाद (उपन्यास), कहाँ बिलागे मोर धान कटोरा (उपन्यास), नित्य प्रवाह (प्रार्थना अउ भजन संग्रह), कालू भगत (कहानी संग्रह), आंसू म फिले अॅंचरा (कहानी संग्रह), मोर मयारुक हीरा के पीरा (निबंध संग्रह), डोंगराही रद्दा (कहानी संग्रह), लोक-लाज (उपन्यास), समे के बलिहारी (उपन्यास), देवता मन के भुतहा चाल (व्यंग्य संग्रह) आदि प्रमुख हे.
केयूर भूषण जी के लेखनी जादा करके छत्तीसगढ़ी म ही जादा चलिस. उन छत्तीसगढ़ी के बारे कहयं- ‘छत्तीसगढ़ी साहित्य ह अब बने पोठ होवत हे. सबो किसम के साहित्य लिखे जावत हे, फेर एमा छत्तीसगढ़ी के आरुग शब्द जतके जादा आही, वतकेच जादा एमा सुंदराही आही. जब छत्तीसगढ़ी म हिन्दी या आने भाखा के शब्द सांझर-मिंझर होए लगथे, त वोकर मिठास म फरक आ जथे. जिहां तक हो सकय मिलावट ले बांचयं अउ खोज-खोज के छत्तीसगढ़ी के शब्द मनला अपन लेखन म शामिल करयं.’
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केयूर भूषण जी साहित्य लेखन के संगे-संग पत्रकारिता ले घलो जुड़े रिहिन हें. वोमन साप्ताहिक छत्तीसगढ़, साप्ताहिक छत्तीसगढ़ संदेश, त्रैमासिक हरिजन सेवा (नई दिल्ली) अउ मासिक अंत्योदय (इंदौर) के संपादन घलो करे रिहिन हें. आज देश भर म पहचान बनाए रायगढ़ म होवइया ‘चक्रधर समारोह’ ल चालू करवाए म घलो केयूर भूषण जी के बड़का योगदान हे. ए सब रचनात्मक बुता मन के सेती सन् 2001 के छत्तीसगढ़ राज्योत्सव म उनला पं. रविशंकर शुक्ल सद्भावना पुरस्कार ले सम्मानित करे गे रिहिसे.
केयूर भूषण जी अपन देंह-पॉंव के गजब चेत राखयं. प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम ले जतन करयं. तेकर सेती शारीरिक रूप ले गजब चेम्मर अउ स्वस्थ रिहिन. फेर ए नश्वर दुनिया म आने वाला मनला एक दिन बिदागरी लेना ही परथे. उहू मन 3 मई 2018 के इहाँ ले बिदागरी ले लेइन.
उंकर सुरता ल पैलगी-जोहार