गनेश्वर पटेल, पोटियाडीह, जिला धमतरी
बर बिहाव के सिजन चलत हे। बिहाव घर म नेवता आथे, मांदी भात खाये बर चलो गा कहिके। मांदी भात हमर पुरखा मन के देवल सुघ्घर परम्परा हावय। हमर पुरखा मन ए बेवस्था ल एक जगा सबो झन एक जगा सकलाये अउ समाज म भाई चारा बने राहय कहिके बनाये रिहिसे।
मांदी भात (कहानी)
आज चइतु घर तको बिहाव घर ले मांदी भात खायेब के नेवता आहे। चइतू ह अपन बाई ल आरो देवत काहाथे। आज बुधारू घर मांदी भात बर नेवता आहे त मोर अउ गुड्डू बर रतिहा कुन भात साग झन रांधबे। संझाकुन हमन दूनों बाप बेटा मांदी भात खायेब बुधारू घर जाबोन।
चइतु के परिवार एकदम छोटे अउ सुखी परिवार हे। चइतु ह गरिब हे फेर एकदम स्वाभिमानी तको हावय। कतको बिपत आ जाय तभो ले चइतू काकरो कर हाथ नई फैलाय। खेत म सुघ्घर किसानी बुता करके घर के सबो खर्चा ल चलाथे।
बुधारू मन तको एकदम गरीब हे। बुधारू अपन बेटी के बिहाव ल समाज अउ पारावासी मन के सहयोग ले करत हे। चइतू अउ गुड्डू दूनों झन बुधारू घर मांदी भात खाय बर जाथे, बुधारू ह सबो झन के जबर सुघ्घर स्वागत करिस। सुघ्घर बइठार के सबो झन मन ल जेवन परोसिस। पेड़ पत्ता के बने पतरी म सुघ्घर दार भात, सब्जी , रोटी, लाडू सबो ल ओरी पारी परोसिस। सबो झन के जेवन होयेके बाद सबो झन के हाथ धोवा के सुघ्घर सबो झन मन ल बिदा करीन।
व्यंजन ह एकदम सादा रिहिस फेर एकदम स्वादिस्ट रिहिसे। बुधारू के आवा भागत ह सबो झन मन के मन ल रीझ लिस। बुधारू के सुघ्घर आवाभगत अउ बेवहार ले सबो समाज ह अड़बड़ प्रभावित होईस। गाँव के सबले बड़का दाऊ रामसिंग घर के बड़का बेटा के तको बिहाव एक दू दिन म माढे़ हे। दाऊ रामसिंग ह सबो गाँव ल नेवता दे हावय। गाँव के सबले बड़का दाऊ घर बिहाव होथे कोनो कुछु भी परकार के कमी नई होना चाहिए कहिके अपन चेला चंगुरी मन ल काहत हे।
जिगिर बिगिर करत लाइट सपुरा घर म लगगे, अड़बड़ सुघ्घर पंडाल वंडाल गड़गे। अड़बड़ ठाठ बाठ ले अपन बेटा के बिहाव करथे। आज दाऊ रामसिंग घर मांदी हावय। सबो गाँव भर ल नेवता परे हें। चइतु अउ ओकर लईका दूनों झन मांदी भात खाये बर दाऊ घर आए हे। ए पारम्परिक मांदी सही नहीं, खुदे प्लेट म हेरव अउ खाव वाला मांदी आय। अंग्रेजी म ओला बफेलो सिस्टम कहिथे। रंग रंग के जीनिस का गुपचुप, सेंडविच, छोले, फुलाए, गुलाब जामुन, चमचम, रंग रंग के चटपटा साग भात के बेवस्था हावय।
जिनिस अतेक अकन हे कि सबो ह एके प्लेट म नई समाय। रामसिहं दाऊ ह खाना के बेवस्था ल देखत उही कर खड़े रिहिसे, चइतु ह एक्कन गुलाब जामुन अउ मांगत रिहिसे, देत गा गुलाब जामुन एकदम बड मिठाए हे। फेर दाऊ रामसिहं ह चैइतु ल कही दिस, खाले दू घांव तीन घांव लेवाके, खावव कुकुर माकर सहिं, अइसन खाये ल तो कभू नई मिलय। अतेक जिनिस ल खाए के बाद टिकान म तो 10-20 रूपिया ही टिकने वाला हो ओला तो में जानतेच हंव।
चइतु ल अड़बड़ सर्मिंदगी लागिस, चइतु के मुँहू ऊतरगे। चइतू अड़बड़ स्वभिमानी हे ओला ए गोठ ह अच्छा नई लागिस। चइतु के मुंहू उतरगे। ए गोठ ल सुनके चइतु ह चुप्पे ऊहां ले तुरते निकल गे। अउ घर आगे। चइतु ह अपन बाई ल ए घटना के बारे म बतईस। तब चइतु के बाई रमशीला ह किहिस हाव जी एक गरीब मनखे बुधारू अपन घर के शादी म अतेक सुघ्घर बेवहार के साथ पहुना सगा, पारा अउ गाँव के मन के सुघ्घर बेवहार ले सादर सतकार करीन, व्यंजन भले ही एकदम सादा रिहिसे। फेर अपन आदत बेवहार ले सबो के मन ल जीत लीस अउ एक डाहन गाँव के सबले बड़का दाऊ रामसिंग जेन ह जबर बेवस्था करे रिहिन फेर उंकर अपन अइंठ पन, अमिरियत अउ गलत बेवहार ह कोनों के मन ल नई भइस। मांदी भात दूनो घर रिहिन, फेर ये दूनो मांदी कतेक बड़का फरक रिहिसे वोहा सबो ल दिख गे।