सुशील भोले, संजय नगर, रायपुर पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी जी एक अइसन साहित्यकार रिहिन हें, जेला सरलग सुनतेच रेहे के मन लागय. मोला तो कई पइत अइसनो जनावय के उनला कविता…
सुशील भोले के कलम ले.. हर भाखा के अपन मौलिक परंपरा होथे, अउ वोला सुरक्षित रखे के जवाबदारी वो भाखा-संस्कृति ल जीयइया मन के होथे। छत्तीसगढ़ी म जब ककरो घर…
डेढ़ लाख हेक्टेयर म चालू होही अब खरीफ सीजन म मिलेट के बोअई कांकेर म स्थापित देश के सबले क्षमता…
मुंह में लबलब, काम म चोर, खाइन जादा उपजाईन थोर। चटोर, कामचोर मीठ कुसियार के जरी ला, नी चुहकैं। मीठे…
थोड़किन बेरा म गरमा गरम छत्तीसगढ़ी देसी नास्ता खाना हे त ए पोस्ट आप मन बर हे। ए पोस्ट म…
अपन सोन खोंटहा, अऊ सोनार ल दोष खुद की गलती और दूसरे पर दोष मढना। अंधरा बर खंचवा - डिपरा…
छत्तीसगढ़ी कुकरी कुकरा भईंसा भईंस घाघर गईया पोसवा बोकरा बछरू बावहन चिरई बघवा सेर चिंयां भलुआ बदक छुछु गंगेरुआ केछवा…
Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!
Sign in to your account