टीकेश्वर सिन्हा "गब्दीवाला", व्याख्याता, घोटिया (बालोद)
हमर गाँव-अंचल म निकलत चौमास के क्वँरहा महीना म चाहे कोनों बारी-बखरी हो, चाहे घर-कुरिया के छानी या परदा-पलानी म हो, हर डहरचला मनखे हर एक नजर जरूर मारथे, काबर कि ये समै तुमा-कुम्हड़ा, अउ नहिं ते रखिया, जेन ल अंग्रेजी म वाक्स गार्ड या ऐस पम्पकिन घलो कहि देथे, भरोसी ले देखे बर मिल जाथे। रखिया ल देखते साठ हरेक के मन म एकेच बात आथय कि अबड़ फरे हे फलाना घर के रखिया हा। मने-मन चलथय कि रखिया मन बरी बनाय के लाइक होगे हे। रखिया ले बने बरी हमर गाँव-देहात म अबड़ चरचित हे।
रखिया के बने ढंग ले कर्राय-पाके के बाद वोला काटके वोकर गुदा, जेला ‘करी’ कहे जाथे, ल सुतई-चम्मच म बढ़िया करो या रोखके या खरोरके अलगाय जाथे। संगे-संग येकर बीजा ल लिरबुटहा असन गुदा ल अलग कर देय जाथे। ये करी ल चन्नी म पानी के झरत ले राखे जाथे। करी ले पानी निथरे के बाद गुदगुद ले फिजे उरिददार के चिक्कन पिसाय पीठी संग बढ़िया फेटे-साने जाथे। ताहन फेर अच्छा लकलक ले घाम म जुन्ना लुगरा या चद्दर म सनाय पीठी ल नान-नान खोंटत भजिया असन बनाय जाथे। इही ‘रखियाबरी’ आय। दू-तीन तक बने जोरदरहा घाम ह बरी बर बने होथे।
एखर बाद बीजा वाले लिरबुटहा अउ पनिआहा गुदा ल थोरिक पीठी म फेटके नान-नान अउ पतला-पतला बरा असन बनाय जाथे। इही तो ‘बिजौरी’ आय। जमदरहा घाम म बरी अउ बिजौरी संघरा सुखाथे। खराब मौसम याने पानी-बादर हर बरी अउ बिजौरी दूनों बर नुकसानदायक होथे।

बरी हो, चाहे बिजौरी के सुवाद बड़ गजब के होथे। बरी ल हर मौसम या तीज-तिहार म कोनों सब्जी, जइसे- आलू, भाँटा, मुनगा, मुरई, सेमी, गोभी संग दार अउ अम्मट-गोम्मट ल छोड़ सबके संग सुवाद, सउँख अउ सुविधा मुताबिक राँधे-खाये जाथे। ये बरी हर मौसमी फल रूपी रखिया के हरियर सब्जी ले बने जिनीस आय, जेकर बढ़िया सुवाद के संगे-संग येमा प्रोटीन बड़ प्रचुर मात्रा म रहिथे। अइसना बिजौरी हर घलोक बड़ गजब के सुवादिस्ट अउ प्रोटीन तत्व ले भरमार रहिथे। येला पलपला आगी या तेल म फोर के भात संग खाय जाथे। पापड़ अस मस्त चुर्रुस चुर्रुस लागथे। येकर ले भोजन के सुवाद बढ़ जाथे।
रखियाबरी अउ बिजौरी हमर ग्रामीण क्षेत्र के खानपान के अंतर्गत बड़ सुग्घर जिनीस आयेच। संगे-संग हमर हरियर छत्तीसगढ़ के सुग्घर हरियाली अउ समृद्धि के सूचक आय। रखियाबरी अउ बिजौरी के बनई ह हमर खेती-किसानी अउ बारी-बखरी के उपज ल दर्शाथे, जेमा लोगन के सुख-समृद्धि स्पष्ट झलकथे। लोगन के अइसना बरी अउ बिजौरी जस जिनीस के बनाय अउ बउरे ले हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति ह जीवित रह पाही।