डॉ. जयमती कश्यप ल मिलिस 2024 के राष्ट्रिय देवी अहिल्या सम्मान
हमर छत्तीसगढ़ अंचल बर जबर गरब के गोठ
✍️✍️ गणेश्वर पटेल, पोटियाडिह, जिला धमतरी (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल, जिहां प्रकृति अउ परंपरा एक संग गूंजथे, उही ले उगिन हें डॉ. जयमति कश्यप – एक समर्पित जनजातीय कलाकार, साहित्यकार अउ समाज सेविका। उहाँ के जीवन यात्रा, केवल व्यक्तिगत उपलब्धि मन के गाथा नइ, बल्कि आदिवासी अस्मिता, महिला सशक्तिकरण अउ सांस्कृतिक जागरण के एक जीवंत दस्तावेज आय।
शिक्षा के संग संस्कार:-
डॉ. कश्यप जी ह छह विषय.एम.ए उपाधि प्राप्त करिन हे – जऊन म लोक साहित्य, समाजशास्त्र, इतिहास अउ मनोविज्ञान जइसने विषय सामिल हे। पढ़ई के संग-संग ओहा महिला-बाल विकास विभाग म पर्यवेक्षक के रूप म कार्य करत, समाज सेवा के मूलभाव ल साकार करिन हे।
गोंडी कला के गौरव:-
बस्तर अंचल के गोंडी लोककला – चाहे ओ चित्रकला होवय, हस्तशिल्प या लोकगीत – डॉ. कश्यप ह सबो माध्यम म अपन पहचान गढ़िन हे। उहाँ के पेंटिंग म प्रकृति, लोक जीवन, देव-परंपरा के सुंदर समन्वय झलकथे। मंचीय प्रस्तुति म गोंडी गीत गात, उहाँ के हजारों झन मन म लोककला के प्रेम जगाय हें।
डॉ. जयमति कश्यप के रचना अउ साहित्यिक योगदान:-
डॉ. जयमति कश्यप बस्तर के माटी म पले-बढ़े एक गोंड जनजातीय लेखिका, गायिका, चित्रकार अउ समाज सेविका हवंय। उहाँ के रचना म बस्तर के जंगल, लोककथा, देव-परंपरा, अउ जनजीवन के गहिरा रंग दिखथे। उहाँ गोंडी भाखा म कई गीत, कथा अउ शोध करिन हवंय, जऊन ह आज आदिवासी संस्कृति के अमूल्य दस्तावेज बन गे हे।
नना मुया (गोंडी म मूल रचना)
डॉ. कश्यप के सबसे चर्चित रचना ह “नना मुया” आय। ए गोंडी भाषा म लिखाय एक बाल कथा संग्रह आय, जेमे गोंड समाज के लोककथा, बाल भावना अउ लोक संस्कृति के सुंदर चित्रण हे।
ए किताब के खास बात ये आय के एला तीन भिन्न-भिन्न भाखा म अनुवाद करे गे हे:
हल्बी म: “मयँ घुलघुली आयँ” – अनुवाद: नरपति राम पटेल
भतरी म: “मयँ झाप आयँ” – अनुवाद: नंदिता वैष्णव
हिंदी म: “घुँघरू” – अनुवाद: पंकज चतुर्वेदी
ए किताब म चित्रांकन अशोक कुमार ठाकुर के द्वारा करे गे हे, जऊन म आदिवासी जीवन के दृश्यात्मक प्रस्तुति दिखथे।
गोंडी भाखा व्याकरण ऊपर काम:-
डॉ. कश्यप गोंडी भाखा के संरचना, शब्दकोश, बोली अउ व्याकरण ऊपर शोध करत हें। उहाँ के काम ह गोंडी भाखा ल बचाय अउ नवा पीढ़ी तक पहुंचाय म बहुत जरूरी योगदान देथे।
बस्तर परगना अउ सामाजिक व्यवस्था ऊपर शोध
उहाँ बस्तर के परगना पद्धति, देव-देवता के व्यवस्था, मुरीया समाज के मान्यता अउ धार्मिक-आर्थिक संबंध म शोध करिन हे। ए काम ह एक तरह के दस्तावेजी अध्ययन आय, जऊन म बस्तर के सामाजिक ताना-बाना ल देखे जा सकथे।
लोकगीत अउ मंचीय प्रस्तुति:-
डॉ. जयमति कश्यप गोंडी गीत के बहुत बढ़िया गायिका घलो हवंय। उहाँ मंच म गोंडिन परंपरा के गीत ला सुर म बांध के प्रस्तुत करथें, जेमे पेंदा, पारब, प्रकृति, अउ महिला मन के संवेदना झलकथे।
कई संगोष्ठी अउ कार्यशाला म सहभागिता – दिल्ली, अमरकंटक, रायपुर, जगदलपुर आदि।
डॉ. जयमति कश्यप के रचना म केवल साहित्य नइ, बस्तर के आत्मा बसथे। उहाँ गोंडी संस्कृति ल शब्द, रंग अउ सुर म पिरो के अइसने एक सांस्कृतिक सेतु बना डारिन हे, जऊन ह आज के नवा पीढ़ी बर गुमत विरासत के ठिकाना बन गे हे।
सम्मान के संग उत्तरदायित्व:-
डॉ. जयमति कश्यप ल 2024 म ‘राष्ट्रीय देवी अहिल्याबाई सम्मान’ ले सम्मानित करे गे, जऊन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के करकमल ले प्रदान होइस। ए सम्मान, केवल एक व्यक्ति नइ बल्कि समूचे बस्तर के सांस्कृतिक पहिचान ल मान्यता देवइय्या हे।
इंकर पहिली, वर्ष 2019 म रायपुर म ‘मणिकर्णिका सम्मान’ घलो मिलिस – जऊन ह उहाँके कला अउ समाज सेवा म योगदान बर दिये गे रहिस।
किशोरी-बालिका सम्मान – महिला-बाल विकास विभाग, कोंडागांव।
महिला सशक्तिकरण के प्रेरणा:-
डॉ. कश्यप, हजारों आदिवासी महिला मन ल हस्तशिल्प अउ चित्रकला के माध्यम ले प्रशिक्षित करके आत्मनिर्भर बनाय हें। उहाँ मानथें – “जेन मन अपन जड़ ल जानथे, उही मन गहरी जड़ म टिके रहिथें।” आज उहाँ आदिवासी संस्कृति के एक सशक्त स्तंभ बन गे हे, जऊन ल देखके नवा पीढ़ी प्रेरणा लेथे।
डॉ. जयमति कश्यप के जीवन, बस्तर के संस्कृति, नारी शक्ति अउ लोकपरंपरा के सुंदर संगम आय। ओहा केवल कलाकार नइ, बल्कि माटी के सुगंध ल देश-दुनिया तक पहुंचईया एक सांस्कृतिक राजदूत हे। छत्तीसगढ़ घलो ओमा अपन गौरव देखथे।