रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल म ‘तेंदू पान’ के नाम ले विख्यात तेंदूपत्ता के संग्रहण ग्रामीण क्षेत्र म कृषि के बाद लघु वनोपज संग्रहण ग्रामीण मन बर अतिरिक्त आय के एक पूरक स्रोत हे। राज्य के लाखों ग्रामीण प्रतिवर्ष तेंदूपत्ता संग्रहण म करत हे, जेखर ले ओमन ह खेती के अलावा अतिरिक्त आमदनी के जरिया मिलत हे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ह तेंदूपत्ता दर म करे गिस 1500 रुपया प्रति बोरा वृद्धि ह संग्राहक मन ल आर्थिक मजबूती दिन हे। पहली जिहां प्रति मानक बोरा के दर 4000 रुपए मिलत रीहिन, अब एला बढ़ाके 5500 रुपया कर देय गे हे। ए 1500 रुपया के वृद्धि ले संग्राहक मन म भारी उत्साह देखे जात हे। एखर ले वन क्षेत्र म रहइया आदिवासी अउ ग्रामीण परिवार मन ल खेती के अतिरिक्त आमदनी के सशक्त स्रोत मिले हे।
जिला म तेंदूपत्ता संग्रगण के कार्य तीव्र गति ले जारी हे। मिले रिपोर्ट के अनुसार, जिला म कुल 36,200 मानक बोरा के लक्ष्य म ले अब तक 35,217.129 मानक बोरा तेंदूपत्ता के संकलन करे जा चुके हे, जेन कि कुल लक्ष्य के 97.28% हे।
दरिमा क्षेत्र के बरगवां समिति म तेंदूपत्ता बेचे बर आए फूलेश्वरी ह बतायिन कि वो 2019 ले तेंदूपत्ता संग्रहण करत हे। उखर पूरा परिवार ए कार्य म सहभागी हे। खेती-किसानी के संग-संग तेंदूपत्ता संग्रहण ले ओमन ल अच्छा आमदनी हो जाथे। फूलेश्वरी कहिथे कि पहली की तुलना म अब काफी बेहतर मूल्य मिलत हे, जेखर ले लईका मन के पढ़ाई-लिखाई अउ अन्य जरूरत म आर्थिक सहायता मिल जाथे।
तेंदूपत्ता संग्राहक मन के मेहनत अउ सरकार के तरफ ले मिलइया प्रोत्साहन राशि न केवल ग्रामीण मन ल आत्मनिर्भर बनात हे, बल्कि राज्य की वानिकी अर्थव्यवस्था ल घलो गति देत हे। तेंदूपत्ता संग्रहण के कार्य हर साल गर्मी के मौसम म होथे अउ ए बेर हजारा ग्रामीण, विशेषकर महिला मन, जंगल ले तेंदू पत्ता के संग्रहण करके समिति ल बेचथे।
राज्य सरकार द्वारा तय करे गे 5500 रुपए के नवा दर ह न केवल तेंदूपत्ता संग्राहक मन के आर्थिक स्थिति म सुधार लाए हे, बल्कि उनके मनोबल ल घलो बढ़ायिन हे। तेंदूपत्ता जइसन लघु वनोपज ल उचित मूल्य मिले ले वन क्षेत्र ले जुड़े लोग आर्थिक रूप ले सशक्त होवत हे।