हमर छत्तीसगढ़ महतारी के सुग्घर संस्कृति धरोहर चिन्हारी के अलगेच पहिचान हे। अऊ हमर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म सुग्घर सुग्घर आनी बानी के छत्तीसगढी कलेवा हे, जेखर बारे म आपमन ल नीचे विसतार ले जानकारी देवत हँव।
डोमन निषाद “डेविल” ग्राम डूंडा जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़
1.चीला – हमर छत्तीसगढ़ महतारी के गोरा म सुग्घर आनी बानी के तिहार होथे जेमा प्रमुख रुप ले हमर पहिली तिहार हरेली हरय। जेमा सुग्घर ढंग ले हमर गंवाई गाँव म घरो घर महतारी मन चाऊँर पिसान या कनकी पिसान के नमकी अउ मिठा वाले चीला रोटी बनाथे। अऊ एक विशेष रूप ले मीठा चीला रोटी ल हरेली तिहार के दिन घर के देवी देवता अऊ किसानी औजार म चढा़थे। अइसे चीला रोटी ल हरेली तिहार के दिन बर जादा महत्व देय जाथे।
2.चौसेला- हमन बात करबो त जादातर चौसेला रोटी ल नवा चाऊँर या फेर जुन्ना चाऊँर के घलोक बनाथे। अइसे चौसेला रोटी कोई तिहार के विशेष नइ रहय। फेर ऐ रोटी ल हमर छत्तीसगढ़ म जब भी खाये के मन करथे बनाके खा लेथे। अउ चिरपोटी टमाटर के चटनी म चौसेला रोटी ल खाबे त ऐखर सवाद अउ जादा बड़ जाथे।
3.ठेठरी- हमर छत्तीसगढ़ म संस्कृति धरोहर अउ चिन्हीरी के अलगेच पहिचान हे जेमा हमर खान पान के गोठबात करबो त ए ठेठरी रोटी ह राजा रोटी होथे। अइसे ठेठरी रोटी ल चना पिसान के बनाये जाथे।अऊ हमर तिहार तीजा पोरा म ठेठरी रोटी के विशेष महत्व होथे।
4.खुरमी – छत्तीसगढ़ म तिहार बर रोटी पिठा के अलगेच विशेषता होथे जेमा विशेष रुप ले तीजा पोरा तिहार म खुरमी के जादा महत्व होथे। ठेठरी खुरमी ह ऐके संग के संगवारी हरय ए ठेठरी खुरमी ल तीजा पोरा तिहार के दिन सुग्घर बनाके नदिया बइला म हमर उपासहिन दीदीमन सुग्घर चढा़थे।अइसे खुरमी रोटी खाये के मन लगथे त बारो महिना घलोक बना लेथे।
5.अंगाकर/पानारोटी – ए अंगाकर रोटी ल पानारोटी घलोक कहिथे। सियान मन बताथे जब ओखर मन के पहारो म चाऊँर के जादा कमी होवय त। रात कन के बचे भात ल ओमन फेंकत नइ रहिस। इही रातकन के भात ल कनकी पिसान या चाऊँर पिसान ल मिलाके सुग्घर आँगकर रोटी बनाये।अऊ पहिली के बेरा म आँगकर रोटी ल चिरपोटी टमाटर के चटनी म सुग्घर पेट भर खाये।
6.दुध फरा – गाँव गंवई म सुग्घर सुग्घर रोटी पीठा बनाये जाथे जेमा दुध फरा रोटी अभी के बेरा म नंदावत जाथ हे। दुध फरा रोटी ऐखर सती कहिथे काबर कि दुध म मिलाके बनाये जाथे त ऐला दुध फरा रोटी कहिथे। अइसे दुध फरा रोटी ह तिहार बर विशेष नइ रहय फेर हमर छत्तीसगढ़ म ऐला जब भी खाये के मन लगथे ताहन बना लेथे।
7.मुठिया- मुठिया रोटी ल भात अउ कनकी पिसान म मिलाके बनाये जाथे। जादातर गाँव म मुठिया रोटी ल बचे भात के सुग्घर मुठिया रोटी ल बनाथे। अउ मुठिया रोटी के एक विशेष परथा हे हमर छत्तीसगढ़ म जेमा बर बिहाव के बेरा म चुरमाटी के नेग म घलोक काम आथे।
8.अईरसा- हमर देवारी अउ होली तिहार म सुग्घर ढंग ले ए अईरसा रोटी ल विशेष परकार ले बनाये जाथे। जेमा अईरसा रोटी ल चाऊँर पिसार अउ गुड़ के संघरा बनाये जाथे। अइसे अईरसा रोटी ह सवाद म मीठी होथे। हमर छत्तीसगढ़ म लोगमन अईरसा रोटी ल अड़बड़ सवाद लेके खाथे।
9.गुलगुला भजिया- अइसे हमर छत्तीसगढ़ म गुलगुला भजीया ह जादा प्रसिध्द हे। गुलगुला भजिया ल गंहूँ पिसान अउ गुड़ ल मिलाके बनाये जाथे। गुलगुला भजिया के सुग्घर सुग्घर गाना घलोक बने हे। पहिली दाईमन के पहारो म जादातर गाँव गंवाई के मेला ठेला म गुलगुला भजिया बेचाये बर आये। अउ गुलगुला भजिया ह गरम गमर म अड़बड़ मिठाथे।
10.बोइर मुठिया- हमर छत्तीसगढ़ म जादातर बोइर के पेड़ पाये जाथे। पहिली सियान म अपन पहारो म बोइर मुठिया बनाके मिठाई के रुप म खाये। अउ घरो घर बोइर ल इक्कठा करके रखाये अउ ठंड के दिन म सुग्घर बोइर के मुठिया ल बनाके खाये। अउ ए बोइर मुठिया के सवाद ह अड़बड़ गुतुर लगथे। फेर अभी के बेरा म धीरे धीरे बोइर मुठिया ह नंदावत जाथे हे।