मुंह में लबलब, काम म चोर, खाइन जादा उपजाईन थोर।
चटोर, कामचोर
मीठ कुसियार के जरी ला, नी चुहकैं।
मीठे का समूल नष्ट करना अच्छा नहीं
मन हे राजा, करम हे गड़िया, जात रहें भईंस बर, ले आए हंड़िया।
बुरे समय में भाग्य भी विपरित होता है
मन मिलै त चेला नहीं, चेला नई रहे ले, फिरे अकेल्ला
विचारों में संगति नहीं होने से अफने भी साथ छोड़ देते हैं
मन चंगा त, कठवती म गंगा
मन खुश होने से परिणाम सुखदाई होते हैं
मांस खाए ले, मास नई बाढ़े
दूसरों को दुख दे कर स्वयं भी खुश नहीं हो सकते
नवा बईला के चिक्कन सींग, चल रे बईला टिंगे-टिंग
नए नए में सभी सुख का अनुभव करते हैं और अपने बनाव सिंगार का ज्यादा ध्यान रखते हैं। इससे उसका बेढब चलना भी अच्छा लगता है।
करमजरवा के जोग, बिजोगहे-बिजोगहा
दुर्बल को दो अषाढ़ अत्यधिक कष्ट
नाव ल सुनबे त निर्मलदास, पीठ ल देखबे त दादे-दाद
जिसके पेट में दांत हो.. कपटी
पनही के गोंटी, गठरी के रोटी, नई सहाय
समीप का दर्द अधिक पीड़ा देता है। जैसे रोटी पास में होने पर भूख लगती है और जूते की गोंटी पांव की पीड़ा देता है।
पर के दाना, पेल के खाना
मुफ्त में मिलने पर खूब खाना
पोंसे टूरा खरही ल आगी धराथे।
घर का दिया समय आने पर घर को जलाता है।
पेट बर पसीया नहीं, पहुना कहै पसा दे।
दूसरों के दुख दर्द को न जान पाना
रांड़ी के बेटा, अऊ रद्दा के खेती
सहज पर सभी अधिकार जताते हैं
रोक भाई टोक, उधार भाई चमक
आज नगद कल उधार
रहे बर मुंहलुकवा सही गोठियाए बर बेंगवा सही
गंगा बहती है गंभीर गति से और गंदी नदी बहती है जोर-शोर से।
सूम के धन ल चण्डाल खाय।
कंजूस का धन संग्रह व्यर्थ होता है।
सरहा मुंड अऊ नऊवा ल दोष
अपना दोष दूसरों पर मढ़ना
सब दिन नाचबे त नाचबे, समधी आही ते दिन झन नाचबे
अफनी इज्जत बचा कर रखने की सलाह देना
सीधवा ल सबे काटथें, टेड़गा ल धुवै नहीं
सीधे साधे पर सभी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं पर प्रतिवाद करने वालों से बचते हैं।