गनेश्वर पटेल, पोटियाडिह, जिला धमतरी
रखिया के फर सुने होहू, हाँ उही फर जेन ह कुम्हडा सही बने बड़े जबर रहिथे फेर ओकर रंग रूप ह कुम्हडा ले थोरकुन अलगे रहिथे, कुम्हडा ह चितकबरी करियाहू लाल के अउ रखिया फर ह हरियाहू धउंरा रंग सही। गोबर्धन पूजा के दिन कुम्हडा के जबर डिमांड रहिथे। अउ रखिया के फर ह तो बरी बर सपुरा छत्तीसगढ़ म फेमस हे। दूनों ह नार बियार प्रजाती मन म आथे। सुबे सुबे गाँव म बाबू जात मन ह मुखारी धरे अपन खेत डाहर देखेंव मिलथे, अउ माईलोगन के जात मन डोकरी दाई मन गोबर कचरा ल झऊंहा ल बोहे घुरूवा डाहर आवत जावत देखेंब मिलथे।
नाननुक कहानी // रखिया चोर
अइसने दाई समारिन अउ दाई बुधारिन ह तको गोबर कचरा फेकेबर घुरूवा डाहन गे हावय। समारिन दाई अऊ बुधारिन दाई के घुरूवा ह आजुच बाजू म हावय। दूनों घर के घुरूवा म बने रखिया नार ह लामे हे, अउ उही नार म चार पाँच ठन रखिया ह तको फरे हावय। आज दूनों झन मन खुश खुश घुरूवा डाहन जावत हे, चल दई हमर घर के रखिया ह बने भोगा गे होही। बने बरी बनायेके लइक होगे होही। जाहूं अउ टोर के झउंहा म बोहो के लानहू जम्मो पारा वाला मन देखही त देखते रहि जाही। अऊ कही एदे वो फलानिन डोकरी घर एसो बनेच रखिया बरी बनही, थोर अकन ले रखिया लेगत हे।
अइसने मने मन म हांसत सोंचत दूनों झन मन ह कचरा फेकेब जावथे। बुधारिन दाई अपन घुरूवा म अमरतेच साठ का देखथे? रखिया के नार ल कोन ह छिंही बिंही हो गे हे, जेन नार म फरेच फर दिखत रिहिसे उही अब उही नार म एके ठन रखिया ह बांचे हावय वहू ह डूहरु धरे रहिथे ततकिच बड़ हावय। दाई बुधारिन ह गुस्सा के मारे एकदम बगिया गे। अउ बखाने के चालू हो गे। काकर आँखी फुटगे रिहिस होही निपोरी निपोरवा मन के हमर रखिया नार ऊपर। दाई बड़ बखानाथे, तुंहर आँखी फुट जाये रे गडउना हो, घुरूवा म अतेक रखिया फरे हावय, उहिमा हमरेच रखिया नार म बानी लागिस होही। ओतकिच देर समारिन ह तको अपन घुरूवा कर पहुंचिन, दाई बुधारिन के बखनई ह चलतेच रिहिसे, समारिन ह कहिथे ते मोर डाहर ल देख के काबर बखानत हावस वो।
बुधारिन ह किहिस बखानबो बखानबो काबर नई बखानबो वो जिंकर आँखी ह हमर रखिया फर ल देख के फुटे होही उही ल जियांनहीं, तोला काबर जियान परत हे वो। आत्किच बात म दूनों झन म रकझांझर झगरा मातगे। दूनों झन मन बखानिक भाखना होवत हे। झगरा होवत होवत दूनों झन मन अपन घर डाहर रेंग दिस।
दाई बुधारिन ह दाई समारिन ल अड़बड़ बुरा भला तको कहि दिन। ओ दिन ले ए दूनों झन मन म अब तारी नई पटय। कभू कभू दूनों झन मन के रद्दा म आ जावय त एक दूसरा के मुँहू देखे त दूनों झन मन अपन मुँहू ल टेरगा करके एती वोती रेंग देवय।
दू दिन तीन दिन म इंकर मन के झगरा होतेच राहय। फेर उही समय म अड़बड़ झन घर के रखिया मन तको चोरी होए राहय। फेर दाई बुधारिन ह दाई समारीन ल दोषी ठहरावय। दिन ह गुजरत गिस, एक दिन ओ चोर के पता चलगे ओ चोर ह आन गाँव के एकझन बाबू जात निकलिस। ओ चोर ह बिहिनिया बिहिनियाच ले एती वोती बखरी बाड़ी घुरवा म घुमय अउ रखिया मन ल चोरा के बाजार म बेंच देवय।
आज दाई बुधारिन ल अड़बड़ आत्म गलानि होवत हे, ओकर अंतस मन ह पछतावा ले उदास हो गे हावय। एदाई मेंन्हा जाने अनजाने म मोर बहिनी असन समारिन ल गुस्सा गुस्सा म का का कहि परेंव दई। दाई बुधारिन ल अड़बड़ पछतावा होवत हे।
बिहिनिया बिहिनिया ले दाई समारिन ह घर में बने सोयाबिन के बरी ल कटोरी म धरके समारिन घर गिस अउ रोवत रोवत समारिन ले गला लगगे। अऊ केहे ल लगगे मोला माफ करदे बहिनी समारिन मेंहा गुस्सा गुस्सा म तोला का का कहि परेंव वो मोला माफ करदे, मोला माफ करदे बहिनी।
समारिन ह अपन लुगरा ले दाई बुधारिन के आँसू पोछत किहिस नहीं वो बहिनी एमा मोरो गलती रिहिसे वो महू ह तोर सन जाने अनजाने म झगरा होगेंव वो। अइसने काहत काहत दूनो झन मन सुघ्घर मीठ मीठ गोठियाय बर लग गे। अउ अब ओ दूनों दाई मन ओ चोर ल अड़बड़ बखानत हावय, ए रोगहा रखिया चोर के सेती हम दूनों बहिनी म झगरा मात गे वो।
अइसने गोठियात गोठियात दाई समारिन ह अपन बहू ल हांक पारत किहिसे ए बहू वो हमर घर के रखिया साग ल कटोरी म लान वो, बहिनी बुधारीन ह अपन घर म लेगही। अउ एकठन बड़े जबर झिल्ली म रखिया बरी ल तको जोर दे, एसो ए रखिया चोर के सेती बहिनी बुधारिन घर म बरी नई बने हावय। अइसे कहिके आज दूनों बहिनी मन सुघ्घर मेल मिलाप अउ रिसता म मिठास ह बाड़गे।
अइसन सुघ्घर दृस्य मन ह अइसने गांवेच मन म ही देखेंब मिलथे। कोनो ह कभू भी एक दूसरा ले कोनो बात के ज्यादा दिन ले बैर नई रखय झटकुन ले एक दूसरा के बैर ल सुलझा बुझा के मान जाथे।