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Reading: मिलेट के चर्चा होय लगे हे अपार, कमई के घलो खुलत जात हे दुवार
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बड़का समाचार

मिलेट के चर्चा होय लगे हे अपार, कमई के घलो खुलत जात हे दुवार

Araitutari Editor By Araitutari Editor Published April 22, 2023
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छत्तीसगढ़ बनत हे सिर मउर उत्पादन बढ़ाए बर करत हे जबर कारज
तन मन बर घलो करथे संजीवनी के कारज

सिरिफ छत्तीसगढ़िया नहीं, भलकुन देसभर म मिलेट के चलन रिहिस। मिलेट केहे के मतलब मोटा अनाज हरय, जेला श्री अन्न घलोक केहे जात हे। हमर पुरखा मन इही मिलेट के अहार लेवत रिहिन, ते पाय के ओखर मन के जिनगी घलोक मोटा अनाज असन पोठ रहाय। आज के जमाना म जतका के खावत नइये, तेखर ले जाता उछरत हावय। हमर आज के लइका मन के आगु म मिलेट के कुछ पकवान ल बनाके रख देबे, त अइसन मुंह बनाथे, जइसन कोनो जहर—महुरा ल रख दे हावन।

अभिषेक दुबे

फेर अब के बेरा म एक घव अउ मिलेट के प्रचलन बाढ़त हे। छत्तीसगढ़ म भूपेश सरकार ह खुदे मिलेट ल थारी मन म लहुटाय बर बड़का परयास करे हावय। मिलेट ले काय—काय बनाय जा सकथे, तेखर बर तीन दिन के मड़ई घलो रखे रिहिस, जेमा देसभर के बड़का बनइया—चुरोवइया मन आय रिहिन, तेन बन बतइन अउ बनाके घलोक ​देखाइन कि मिलेट ले बने पकवान के सुवाद ह कतका सुघ्घर होथे।

जतका सुघ्घर सुवाद, ओतके सरीर बर फायदा ये मिलेट मन ले मिलथे। आज के जमांना म बासी समान ल सेक अउ भुंज के ओमा आनी—बानी के जुन्ना—जुन्ना समान ल मिलाके महांगी—मंहागी म खवावत हे, अउ हमरे लोग—लइका मन ओखर सुवाद ल बड़ मजा लेके खावत हे। तेन पाय के आय—बाय के बिमारी होवत हे अउ दाई—ददा मन के मुड़ पीरा संग पइसा घलोक ह डॉक्टर मन के खीसा म जावत हे। फेर अइसन सब ला खायके कोनो फायदा कोनो लोग—लइका ल नइ मिलत हे। उल्टा लइका मन फोसवा अउ बिमरहा होवत जात हे।

दूसर डाहर जंगल म रहवइया आदिवासी मन के लइका मन ल देखे म समझ आथे, कि ओमन कतका पोठ अउ ठस बदन के ​रहिथे। काबर, ओमन रोज दिन म इही मिलेट ल खाथे। रोज पसिया पियत हावय, कोदो—कुटकी—रागी—महुआ खावत हे, तेन पाय के शहर के लइका मन के मुकाबला म ओखर मन के सरीर के विकास ल ओतके बढ़िया होवत हे।

आज के जमाना म फास्ट फूड के बड़ चलन हावय। ये जम्मो फास्ट फूड ह सरीर ल बड़ हानि पहुंचावत हे, फेर लोगन मन ये गोठ ल नइ समझ पावत हे। तेखर पाय के छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार ह इही गोठ ल समझाय बर बड़का परयास करिस हे। तीन दिन म देसभर ले आय बनइया—चुरोइया मन देखइन कि जेन फास्ट फूड ल आज के लोग—लइका मन खावत हे, ओखर ले बने मिलेट ले बने वइसनहे खाय के समान बनथे। तेखर खाय ले जिंहा सरीर के विकास होही, त बिमार घलोक ह दूसर रद्दा देखे बर मजबूर हो जाही।

काय—काय बनथे मिलेट ले

मिलेट केहे के मतलब मोटा अनाज होथे। लोगन के सवाल हावय कि का मिलेट ले पिज्जा बनाय जा स​कथ हे, बर्गर, सूप, भेल, केक जइसन कुछु काहीं बनाय जा सकथे। त ये जम्मो सवाल के उत्तर देसभर ले आय बनइया मन दिस नहीं, भलकुन बनाके घलोक देखाइन हे। ये मिलेट मन के उपयोग ले एखर ले जादा खाय अउ पिये के समान बनाय जा सकथे। ये मिलेट ह सुवाद म जतका सुघ्घर लागथे, ओतके सरीर बर जरूरी पोसन घलोक देथे।

कइ ठन बिमारी बर उपयोगी

मिलेट ह पेट भरे बर भर अनाज नो हय। भलकुन कई ठन बिमारी बर घलोक मिलेट ह बड़ उपयोगी हावय। आज के जबाना म बड़ संख्या म मनखे मन ह सुगर अउ बीपी के मरीज होगे हावय। जेखर बर मिलेट ह दवई के काम करथे। संगे—संग सरीर ल पोठ रखे बर घलोक बड़ उपयोगी हावय।

कमई के घलोक बनगे साधन

देखते—देखत म मिलेट ह हमर थारी ले नंदा गे, फेर ओखर कतका नुकसान होय हावय, तेखर अंदाज इही बात ले लगाय जा सकत हे कि आज के दिन म छोट—छोट बात म घर के लोग—लइका मन ह बीमार परत हावय। फेर एक घव अउ मिलेट के जबाना ह लहुटे लगे हावय। नवा—नवा परकार के पकवान बने लगे हे, त मिलेट ह अब कमई के रद्दा घलोक खोल दे हावय। छत्तीसगढ़ म सरकार ह मिलेट के समरथन मूल्य तय कर दे हे, ते पाय के किसनहा मन ल घलोक फायदा होय लगे, त दूसर डाहर एखर पकवान बनाके बेचइया मन ल घलोक कमई के साधन मिले लागे हे।

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TAGGED: Bhupesh Baghel, chhattisgarhi, Gadh Ge Nava Chhattisgarh, Millet Mission
Araitutari Editor April 22, 2023
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