सुशील भोले, संजय नगर, रायपुर
गुरुसर गुरुसर गुर नीर गुरु साहेर शंकर
गुरु लक्ष्मी गुरु तंत्र मंत्र गुरु लखे निरंजन
गुरु बिना हुम ला हो काला रचे हो नागिन
गुरु के आवत जनि सुन पातेंव
चौकी चंदन पिढ़ुली मढ़ातेंव
लहुर छोड़ के अंगना बहारतेंव
रूंड काट मुंड बइठक देतेंव
जिभिया कलप के हो….
ह
अनुसुइया साहू के आवाज म जब झांझ मंजीरा अउ मांदर के ताल संग ए गुरु स्थापनी मंत्र म रचे जस गीत रावांभाठा के दरबार म गूंजय तब कतकों भक्त मन के ऊपर देवता के सवारी आ जावय, कतकों मन भक्ति के धारा म बोहा जावंय, अपन चेत बिसरा के सिरिफ गायन दल ल देखत अउ सुनत राहंय. अइसन अउ कतकों जस गीत मनला अनुसुइया लगातार बिना रुके, बिना सुरताए सरलग गावत राहय.
मोला अपन साधना काल के शुरूआती दौर म अनुसुइया साहू के जस गायन के गजब आनंद मिलत रहे हे. आगू जब वोकर गाये जस गीत मन आकाशवाणी अउ दूरदर्शन के संगे-संग आडियो कैसेट मन म आइस त फेर घर बइठे घलो उंकर गायकी के सेवाद ले बर मिल जावत रिहिसे.
अनुसुइया साहू के जनम 4 फरवरी सन् 1967 के गाँव खर्रा (बेरला) जिला बेमेतरा के शिक्षक सहसराम जी साहू अउ महतारी कंचन देवी के घर होए रिहिसे. एकर बिहाव मोर साहित्य जगत के सबले मयारु संगी रहे डाॅ. सीताराम साहू जी संग सन् 1984 के बैसाख पुन्नी के दिन होए रिहिसे. एकरे सेती अनुसुइया संग मोर चिन्हारी एकर ससुरार गाँव रावांभाठा, बंजारीधाम, रायपुर म बहू बन के आए के संग ले ही हे. फेर एकर गायन के संगे-संग अउ जम्मो कला प्रतिभा संग चिन्हारी तब होइस, जब मैं आध्यात्मिक साधना के विधिवत दीक्षा लेंव अउ इंकर गाँव म सरलग आए-जाए लगेंव, रतिहा बीताए लगेंव. इंकर मन के रामायण अउ जस गायन मंडली संग संघरे लगेंव.
अनुसुइया साहू जतका सुंदर जस गायन करथे, वतकेच सुग्घर रामायण मंडली म गायन, वादन अउ व्याख्या घलो करथे. अतकेच नहीं, उन अगहन बिरस्पत जइसन दिन-बादर म अपन सहेली मन घर जा-जा के अगहन बिरस्पत के कथा घलो सुनाथे. आकाशवाणी अउ दूरदर्शन म एकरे सेती उंकर जस गीत के संगे-संग सोहर, बसदेवा गीत जइसन आध्यात्मिक रचना मन के घलो रिकार्डिंग अउ प्रसारण होवत रेहे हे. मोला एक-दू जस गीत के सुरता आवत हे-
महंग लेले आरती हो माय…
कोन कोन देव मिल आवय माता
तोला शब्द सुनावय
कोन कोन मिल आवय माता देवन मंगल गाये… महंग लेले….
मैं शिव जी के एक नान्हे उपासक असन हावंव तेकर सेती उंकर ले संबंधित जस गीत मन के सुरता जादा हावय-
अंगना म धुनी ल रमाये
रमाये हो बाबा…
गिरी पर्वत ले उतरे महादेव
अंग भभूत लमाये
हाथ के डमरू डम डम बाजे
नगरी म अलख जगाये.. हो बाबा…
अनुसुइया के गाये जम्मो गीत, भजन अउ जस मन के रचनाकार उंकर जिनगी के संगवारी रहे साहित्यकार डाॅ. सीताराम साहू ही आय. सीताराम ह एमन ल लगातार प्रोत्साहित करत राहय. कतकों बेर तो महूं ह वोकर संग संघर जावत रेहेंव. सन् 2009 म एकर मन के एक समिति ‘माँ बंजारी महिला मानस मंडली रावांभाठा बीरगांव’ के नॉव ले पंजीयन करवाइस, जेमा अध्यक्ष अनुसुइया साहू, सचिव गीता राठौर, कोषाध्यक्ष मालती साहू के संगे-संग सदस्य के रूप म सेवती चंद्राकार, घसनीन साहू, अमरीका सेन, बेदमती साहू अउ तारा चंद्राकार आदि हें.
हमर इहाँ आडियो कैसेट के एक दौर रिहिसे, जब घरों घर लोगन कैसेट सुनत रिहिन हें. वो बेरा म अनुसुइया साहू के घलो कैसेट देश के नामी कंपनी मन के द्वारा रिलीज करे जावत रिहिसे. वोकर कैसेट मन म – 1. माता जस, 2. भवानी जस, 3. माता सिंगार, 4. जस जुड़वास अउ 5. भोले बाबा जस आदि प्रमुख हे. अपन संगवारी डाॅ. सीताराम साहू संग वोमन वो बखत बहुतायत म बनत विडियो फिल्म – 1. माल हे त ताल हे, 2. टूरी मारे डंडा, 3. गंवइहा बाबू, अउ 4. बांगा लेड़ू आदि मन म चरित्र अभिनेत्री के भूमिका घलो निभाए रिहिसे. ए जम्मो विडियो फिलिम मन के कथा, पटकथा संवाद अउ गीत मन डाॅ. सीताराम साहू के ही लिखे रिहिसे.
आकाशवाणी, दूरदर्शन, आडियो अउ विडियो कैसेट मन के संगे-संग सैकड़ों मंच मन म अपन गायन, वादन अउ व्याख्या के प्रतिभा ल सरलग देखावत रेहे के सेती अनुसुइया साहू ल सैकड़ों मंच द्वारा सम्मानित करे गे हवय. अनुसुइया अउ वोकर समिति के जम्मो सदस्य सखी मन के सक्रियता आज घलो ए पूरा क्षेत्र म लोकप्रिय हे. अपन कला प्रतिभा के संगे-संग अनुसुइया ह साहू समाज रावांभाठा धरसींवा परिक्षेत्र के महिला अध्यक्ष के पद ल घलो सुशोभित करे हवय. मैं व्यक्तिगत रूप ले उंकर हर क्षेत्र म सफलता के शुभकामना देवत उंकर आकाशवाणी म गाये माता जी के ए जस के सुरता करत शुभकामना देवत हौं-
आठों अंग सोलहों संवांगा
तोला मैं सिंगार दिहंव माँ…
हाथ बर ककनी कंगन बनुरिया
पांव बर पइरी पायल पयजनिया
टोड़वां गढ़वा दिहंव माँ..