सुशील भोले, संजय नगर, रायपुर
पूरा दुनिया म छत्तीसगढ़ एक अइसे राज्य आय जिहां दान देवई अउ लेवई ल परब के रूप म मनाए जाथे. एकरे सेती ए दान के छेरछेरा परब ह इहाँ के लोगन म औघड़़दानी कस समागे हे दिखथे. इतिहास के सबले बड़े दानदाता राजा मोरध्वज ह अपन बेटा ताम्रध्वज ल सउंहे आरा म दू फांकी चीर के परीक्षा लेवत भगवान कृष्ण के आगू म रख दिए रिहिसे, तइसने दाऊ कल्याण सिंह जी ह अपन जम्मो संपत्ति ल जन हित के कारज म दान कर कर के दानशीलता के मुकुटमणि के रूप म अपन चिन्हारी बनाइन. इही डांड़ म मैं रायपुर नगर निगम द्वारा “नगर माता” के उपाधि ले सम्मानित बिन्नी बाई सोनकर ल घलो गिनथंव, जेन ह साग-भाजी बेंच-बेंच के जोरे अपन जिनगी भर के कमाई ल जन कल्याण के कारज खातिर दान कर देइस.
दानशीलता के मुकुटमणि दाऊ कल्याण सिंह
मोर जनम भाठापारा म होए हे. उहाँ के प्रसिद्ध तरिया ‘कल्याण सागर’ म हमन लइकई म गर्मी के दिन म कूद-कूद के नाहवन, तेकर आजो ले सुरता हे. बाद म रायपुर आएन, त इहाँ छत्तीसगढ़ के सबले बड़े अस्पताल के रूप म चिन्हारी करे जवइया ‘दाऊ कल्याण सिंह अस्पताल’ ल देखेन. उहाँ कतकों बखत इलाज कराएन, अपनो अउ नता-रिश्तादार मन के घलो. तब वो ठउर मन कइसे बनिस, काकर दान म बनिस, ए बात के न जानबा रिहिसे, न समझ. अइसने अउ कतकों जन कल्याण के जगा मन के दान देवइया दाऊ कल्याण सिंह जी के दान अउ दानवीरता के बारे म बाद म जानेन-समझेन त माथा ह श्रद्धा के साथ नवगे.
दाऊ कल्याण सिंह के जनम नवा बने जिला भाठापारा- बलौदाबाजार के गाँव तरेंगा म 4 अप्रैल 1876 म दाई पार्वती अउ ददा बिसेसर नाथ जी के घर होए रिहिसे. उंकर ददा ए नान्हे गाँव के गौंटिया रिहिन. ए गौंटियई के जोम 1828 म जागे रिहिसे, तब ए ह बिलासपुर संभाग के अन्तर्गत आवत रिहिसे.
कल्याण सिंह जी जब सिरिफ 14 बछर के रहिन, तभे उंकर सियान देवलोक के रद्दा धर लेइन. तब वोमन 14 बछर के उमरेच म गौंटियई ल संभालिन. अतकेच नहीं, उन एला अतका आगू बढ़ाइन, के 1911 म उनला ‘राय बहादुर’ अउ 1944 म ‘दीवान बहादुर’ के पदवी मिलगे.
सन् 1937 म उन वो जमाना म 70 हजार रुपिया के राजस्व पटाए रिहिन हें. ए बात ले समझे जा सकथे, के उन तब कतका अकन संपत्ति के मालिक होगे रिहिन हें. फेर जइसे जइसे उंकर संपत्ति बाढ़त गेइस, तइसनेच तइसे उंकर दिल अउ कार्यकुशलता घलो बाढ़त गेइस. जतका धन आवत गेइस ततकेच उन वोला जनकल्याण के कारज म लगावत गेइन.
रायपुर के प्रसिद्ध डी. के. अस्पताल ल खोले खातिर उन सन् 1944 म न सिरिफ अपन जमीन ल देइन, भलुक 1.25 लाख रुपिया घलो वो बखत देइन. आज के हिसाब म नापिन, त सौ करोड़ अकन के पुरती हो जाही. रायपुर के लभांडी म 1784 एकड़ कृषि विश्वविद्यालय, जेकर गिनती एशिया के सबले बड़े विश्वविद्यालय मन म होथे, वोला दान दे रिहिन. संग म गरीब पढ़इया लइका मन के रहे खातिर हास्टल बर जमीन घलो दे रिहिन. संग म 1.12 लाख रुपिया.
रायपुर के टीबी अस्पताल अउ काली बाड़ी स्कूल खातिर जमीन अउ जगन्नाथ मंदिर खातिर पूरा के पूरा खैरा गाँव ल दे दिए रिहिन हें. उंकर आने अउ योगदान म- भाठापारा म अकाल परे के बेरा कल्याण सागर तरिया के निर्माण, दू ठन धर्मशाला अपन सुवारी के नांव ले. पशु अस्पताल, थाना, कतकोन तरिया, बलौदाबाजार अउ बरोंडा गाँव म कालेज, कृषि रिसर्च सेंटर, गौशाला, कांजीहाऊस, बाजार- हाट, पुस्तकालय, मंदिर, चर्च आदि मन खातिर जमीन.
मानव धर्म के उपासक दाऊजी जाति पांति, सम्प्रदाय या क्षेत्र- राज्य नइ देखिन. नागपुर म लेडी डफरिन अस्पताल (कटक, करांची अउ क्वेटा आदि म घलो ए अस्पताल हवय) वर्धा म महिला महाविद्यालय खातिर उन जमीन अउ रुपिया देइन. बिहार के भूकम्प अउ वर्धा के बाढ़ प्रभावित मन खातिर घलो उन अपन हाथ बढ़ाइन.
ए भुइयां के समृद्ध दान परंपरा के उन सच्चा उपासक रिहिन. उंकर बारे म जान के ही अइसे लागथे, के कोनो पइसा वाले होवय, त दाऊजी कस ही होवय. धन संपत्ति के खरही गांज के बइठे मनला दाऊजी ले प्रेरणा लेना चाही, के उंकर जनम के डेढ़ सौ बछर बीते के बाद घलो कइसे लोगन के हिरदे म उन बइठे अउ आदर संग सम्मान पावत हें.
उंकर सुरता ल पैलगी. ..जोहार