छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ियापन के जेन अलख जागे हावय, तेन ह अपन आप म सुघ्घर लागे लगे हे। जेमा कोनो दू ठन गोठ नइये कि ये अलख ल जगाय बर छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल ह बड़ प्रयास करिस हे। तेखर सेति अब छत्तीसगढ़ ल अपन गौरव अउ परंपरा के भान होय लगे हे, त छत्तीसगढ़िया मन के मान घलोक बाढ़े लगे हे। एखर ले पहिली कोनो नइ सोचे रहिन के छत्तीसगढ़ के गांव मन म जेन खेल ल खेले जाथे, तेन ल राज्य स्तरीय प्रतियोगिता बनाय जाही, गांव ले लेके शहर तक के खिलाड़ी मन जुरही अउ मातहीं। आदिवासी महोत्सव मनाय जाही, छत्तीसगढ़ के आदिवासी मन ल देश अउ विदेश के आदिवासी जमात संग बइठे अउ गोठियाय के मउका मिलही, त इहां के लोगन ल देश अउ विदेश जाय के मउका मिल पाही। फेर ये जम्मो बात ह अब संभव होय लगे हे।
छत्तीसगढ़ माटी के किसनहा बेटा ल अपन राज के मनखे अउ ओखर परंपरा अउ संस्कृति के कतका फिकर हावय, ओखर मान के कतका चिंता हे, तेन ह ये बात ले पता चलथे कि सालभर के अलगे कलेण्डर छत्तीसगढ़ के तीज अउ तिहार बर बन जथे। अइसन खास दिन बर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ह अपन सरकारी निवास ल छत्तीसगढ़िया मनखे मन बर खोलवा देथे, त ओखर खाय-पिये, आय-जाय जम्मो बात के घलोक चिंता करथे। अतकेच नइ, बल्कि वो बेरा म खुदे प्रदेश के मुखिया ह जम्मो मनखे मन के बीच म बइठे जथे अउ गोठ बात घलोक करथे।
छत्तीसगढ़ राज गठन के बाद ले ये बात के जरुरत महसूस होय लागे रिहिस कि जइसन दूसर राज म अपन बानी अउ अपन गोठ ल महत्व दे जाथे, तइसन छत्तीसगढ़ म घलोक होना चाही, फेर ओखर बर अइसन सोच रखइया सरकार के जरुरत रिहिस, जेन छत्तीसगढ़ ल साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद मिलिस। सरकार बने के बाद मुखिया कइसन होही, तेन ह बड़खा बात रिहिस, फेर भूपेश बघेल ल मुखिया बनाय गिस, त राज के मनखे मन बर ये ह सबले बढ़िया बात होईस।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ह किसनहा परिवार ले हरय। राज्य अउ देश के राजनीति ल मुख्यमंत्री भूपेश ह बने जानथे अउ समझथे। राजनीति म लंबा अनुभव घलोक रखथे, फेर अपन अनुभव के लाभ छत्तीसगढ़ ल देवाय के मउका उन ला साल 2018 के बादे मिलिस, त ये मउका ल ओमन अइसने नइ जावन देना चाहे। तेखरे सेति किसान मन के चिंता करेके संगे संग मुख्यमंत्री बघेल ह छत्तीसगढ़ के तीज-तिहार, खेल, परंपरा अउ संस्कृति जम्मो ल व्यवहार म लाय बर सोचिस। उही सोच के परिणाम हरय के अब छत्तीसगढ़ म तीज-तिहार ह ढंग से मनाय जात हे। जेन चीज ह घर अउ परिवार तक म समटागे रिहिस हे, तेन एक घव अउ राजभर म एके रंग म मनाय बर शुरु होगे हावय।
बात करन गिल्ली डंडा, फुगड़ी, डंडा-पिचरंगा, रेस-टीप, बांटी, भंवरा जइसन खेल के त, ये जम्मो खेल ह नंदा गे रिहिस, जेन ल छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक म शामिल कर अइसन खेल मन ल नवा जीवन देगे हावय। बड़खा गोठ ये हरय कि राजभर म ये खेल ल सरकारी आयोजन के माध्यम ले कराय जात थे, जेमा गांव ले लेके शहर के खिलाड़ी मन हिस्सा लेवत हे, त अपन प्रतिभा के परिचय घलोक देवत हे। छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक बर पूरा तीन महीना के समय ले गे हावय। लइका ले सियान तक त अइसन खेल म खेले के मउका मिलत हे। माइलोगिन मन घलोक ऐमा हिस्सा लेवत हे अउ अपन बचपन ल याद करत हें। ये जम्मो बात ह आज हो पावत हे, त ओखर पाछू सिरिफ अउ सिरिफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सोच हरय।
छत्तीसगढ़ ह अइसन शांत प्रदेश हरय, जिहां आय के बाद कोनों दूसर प्रदेश के मनखे मन जायके नाव नइ लेवय। तेखरे सेति देश के जम्मो राज्य के लोगन मन ह इहां अइन, त इहें बसगे। अपन तीज-तिहार ल ओमन बड़का रंग ढंग ले मनाय लगिन। छत्तीसगढ़िया मन ल ये बात जियानय, फेर मन ल मसोस के ओखरे मन के रंग म ढले बर मजबूर होय लगिन। फेर अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राज पाठ ल संभाले के बाद ले दूसर राज के मनखे मन देखत हावय कि छत्तीसगढ़िया मन के तीज-तिहार अउ संस्कृति के रंग कइसन सुघ्घर हावय। त अब उहू मन ह छत्तीसगढ़िया तीज-तिहार म संगराय लगे हावय। तेखरे सेति छत्तीसगढ़ बछर भर तिहार असन लगे लागे हावय, त खुशी के माहौल घलो बने रहिथे।