कविता घर के छानी ले सुरुज झांके By Araitutari Editor Published April 21, 2023 Share arai tutari kavya SHARE डॉ. शैल चन्द्रा, नगरी, जिला-धमतरी घर के छानी ले सुरुज झांके।चंदा संग चंदेनी ह चिट्ठी बांचे।पुरवाही पवन संग पाना-पत्ता डोले।घर के छानी म चिरई -चिरगुन बोले।मऊरे आमा के मौर मन झर-झर झरे।घुमड़त बादर के पानी ह छानी ले झरे।तब मन ह खुस होके झूमर जाये।सीतल हवा म मन घुम्मर जाये।जेठ-बैसाख म छानी ले सीतल पवन डोले।रतिहा के चंदैनी अपन घूंघट ल खोले।चांदनी अंजोर छिटक के घर म बगरे।छानी के घर म मन ह उमंग ले भरे।छानी के खपरा साल म बदले।कतकोन कुम्हार मन ल रोजगार मिले।आज छानी के घर कुरिया नंदागे।सिरमिट के जंगल म पटागे।खपरा के बनैया जाने कहाँ गँवागे।छानी के सीतलता जाने कहाँ सिरागे।छानी हमर जिनगी ले दुरिहागे।अब सिरमिट के जंगल म लोगन मन भुलागे।डॉ. शैल चन्द्रा, नगरी, जिला-धमतरी You Might Also Like आभार सवैया “धान के कटोर’’ बन गे अब देश के “मिलेट हब’’.. पहिली राज्य जिहां समर्थन मूल्य म होवत हे खरीदी नंदावत हे हमर छत्तीसगढ़ के ए कलेवा.. जेखर सुआद म हमर माटी के हे चिन्हारी छत्तीसगढ़ी हाना भाग- दो छत्तीसगढ़ी हाना भाग-एक TAGGED: Arai Tutari Kavya, chhattisgarhi, Kavita, shayri Araitutari Editor April 21, 2023 Share this Article Facebook Twitter Email Print Previous Article माटी हमर धरोहर Next Article इही म बसे छत्तीसगढ़ महतारी हे Leave a comment Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ